सूरज – चंदा
सुबह सवेरे सूरज – चंदा , दोनों थे आकाश में ।
अरुणोदय रक्ताभ रवि था , शशि था मंद प्रकाश में ।।
सूरज बोला –
प्यारे चंदा सुबह हो गई , जाओ अपने धाम को ।
दिनकर हूँ मैं करूँ सार्थक , अब मैं अपने नाम को ।।
चंदा बोला –
हुआ सवेरा सूरज भाई , मैं जाता विश्राम को ।
करो धरा को आलोकित तुम , फिर मिलते हैं शाम को ।।
o o o o o o