Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jun 2023 · 1 min read

सूरज को रौशन करना है l

लपट तेज थी, लपक तेज थी,
जब वो जला था चमक तेज थी l
निस्तेज करती थी किरणें,
चाँद के घमंड और तारों की चाकरी को l
दमकती आंखें, चमकते बाल,
आग सा हृदय, आग की खाल l
जब वो चला था,
गति उसकी चपल तेज थी l
पर किसी ने इसे बुझाने को,
हर कसर ही उड़ेल दिया l
किसी ने शायद उसपर,
पूरा बादल ही छिड़क दिया l
बुझ कर अब ये खामोश बैठा है,
मात्र अब ये एक मिटटी के गोले जैसा है l
एक दिया ले आओ,
इसे फिर से जलाते हैं l
ठंडी आग को इसके,
फिर से भड़काते हैं l
इसके भयंकर आग में,
दुनिया को फिर जलने दो l
पथराये इस जग को,
पिघलकर स्वर्ण बनने दो l

Language: Hindi
1 Like · 132 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गूॅंज
गूॅंज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
क्या ये किसी कलंक से कम है
क्या ये किसी कलंक से कम है
Dr.Pratibha Prakash
'बेटी बचाओ-बेटी पढाओ'
'बेटी बचाओ-बेटी पढाओ'
Bodhisatva kastooriya
भोग कामना - अंतहीन एषणा
भोग कामना - अंतहीन एषणा
Atul "Krishn"
सुनो जब कोई भूल जाए सारी अच्छाइयों. तो फिर उसके साथ क्या किय
सुनो जब कोई भूल जाए सारी अच्छाइयों. तो फिर उसके साथ क्या किय
shabina. Naaz
3413⚘ *पूर्णिका* ⚘
3413⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
मोबाइल
मोबाइल
Shama Parveen
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
Lokesh Sharma
* बाल विवाह मुक्त भारत *
* बाल विवाह मुक्त भारत *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
घूँघट घटाओं के
घूँघट घटाओं के
singh kunwar sarvendra vikram
सरपरस्त
सरपरस्त
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
पेड़ पौधे और खुशहाली
पेड़ पौधे और खुशहाली
Mahender Singh
"सुनो"
Dr. Kishan tandon kranti
సంస్థ అంటే సేవ
సంస్థ అంటే సేవ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
राजनीति
राजनीति
Awadhesh Kumar Singh
विचार और रस [ दो ]
विचार और रस [ दो ]
कवि रमेशराज
फिर से जीने की एक उम्मीद जगी है
फिर से जीने की एक उम्मीद जगी है "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
*कैसे  बताएँ  कैसे जताएँ*
*कैसे बताएँ कैसे जताएँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
#इंक़लाब_ज़िंदाबाद
#इंक़लाब_ज़िंदाबाद
*प्रणय प्रभात*
पृथ्वी की दरारें
पृथ्वी की दरारें
Santosh Shrivastava
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
पाँच मिनट - कहानी
पाँच मिनट - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बेवजह यूं ही
बेवजह यूं ही
Surinder blackpen
काफ़ी कुछ लिखकर मिटा दिया गया ;
काफ़ी कुछ लिखकर मिटा दिया गया ;
ओसमणी साहू 'ओश'
मेरे प्रेम पत्र
मेरे प्रेम पत्र
विजय कुमार नामदेव
"नन्नता सुंदरता हो गई है ll
पूर्वार्थ
18--- 🌸दवाब 🌸
18--- 🌸दवाब 🌸
Mahima shukla
मनुष्य और प्रकृति
मनुष्य और प्रकृति
Sanjay ' शून्य'
समीक्षा ,कर्त्तव्य-बोध (कहानी संग्रह)
समीक्षा ,कर्त्तव्य-बोध (कहानी संग्रह)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*रामायण लिख-लिख कर गाते, राधेश्याम कथावाचक (हिंदी गजल)*
*रामायण लिख-लिख कर गाते, राधेश्याम कथावाचक (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
Loading...