सूरज की किरणें
सूरज की किरणें
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पेड़ों के झुरमुट से झांकता सूरज,
सुनहरी किरणें फैलीं चहूं और।
सुबह का सुहाना गुलाबी मौसम है,
जो मन को कर जाता तरोताजा है।
धरा पर घास का मखमली
चादर बिछा है।
चुभे न कांटे किसी को,
नंगे पैरों पथ पर हर कोई चला है।
पेड़ों पर ओस की बूंदें ,
ऐसे लगे जैसे हे कोई मोती।
बैठी पत्तों में दुबक कुछ,
बूंदें दमक रही होती ।
देख कर बूंदों को पीपल,
आशीर्वाद हे देता।
करके न्योछावर फुहारें,
बूंदों को खुश होता ।
तपाने लगी वसुंधरा को,
सूर्य की किरणें सबेरे से–
तपिश में जल रहा हर कोई,
अंगारों से ।।
गर्मी से बेहाल है सब लोग हो जाते,
कहीं राहत नहीं मिलती,
मिले राहत तो सभी पीपल तले जाते।
करो पेड़ों का वृक्षारोपण सभी,
पेड़ मानव का कहलाता
जीवन दाता तभी—-
हवाएं चलती पेड़ों से,
जिससे आक्सीजन है शुद्ध!
पाते सभी !!!!
पेड़ों के झुरमुट से झांकता सूरज——
सुषमा सिंह *उर्मि,,