Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2024 · 1 min read

सूरज का ताप

जल रही धरा शहर और गांव में
तप रहा है सूर्य पूरे ताव में!
सूखता है कंठ मिले नहीं छांव भी,
कठिन चलना पथिक का
छाले हुए हैं पांव में !!
चैत भी बीता नहीं
दिखने लगे तेवर अभी,
क्या होगा जेठ,बैसाख
वृक्ष विहीन पगडंडिया
उजाड़ रिक्त गांव में !
दम तोड़ते हैं जीव- जंतु
और मनुजता हारती,
प्रकृति प्रकोप से
पथ भास्कर पखारती।
सूखते हैं ताल, नदिया
सागरों का दबाव है!!
शुष्क वसुधा भी देखो
रिक्त होती जा रही।
आभूषणों को छीनकर
दुर्भाग्य अश्रु बहा रही।।
बंजर जमीन हो रही
आधुनिकता के प्रभाव में !
*********************

Language: Hindi
126 Views

You may also like these posts

कहने को बाकी क्या रह गया
कहने को बाकी क्या रह गया
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
इतना कहते हुए कर डाली हद अदाओं की।
इतना कहते हुए कर डाली हद अदाओं की।
*प्रणय*
जन्मदिन मनाने की परंपरा दिखावे और फिजूलखर्ची !
जन्मदिन मनाने की परंपरा दिखावे और फिजूलखर्ची !
Shakil Alam
नहीं हम भूल पाएंगे
नहीं हम भूल पाएंगे
डिजेन्द्र कुर्रे
प्रत्यक्ष खड़ा वो कौन था
प्रत्यक्ष खड़ा वो कौन था
Chitra Bisht
हमें अब राम के पदचिन्ह पर चलकर दिखाना है
हमें अब राम के पदचिन्ह पर चलकर दिखाना है
Dr Archana Gupta
गीता हो या मानस
गीता हो या मानस
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
फूल फूल और फूल
फूल फूल और फूल
SATPAL CHAUHAN
गीत नया गाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मिथ्या सत्य (कविता)
मिथ्या सत्य (कविता)
Indu Singh
" सपना "
Dr. Kishan tandon kranti
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
J88 Okvip
J88 Okvip
J88 Okvip
4124.💐 *पूर्णिका* 💐
4124.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
साथ
साथ
Dr fauzia Naseem shad
हमें भी जिंदगी में रंग भरने का जुनून था
हमें भी जिंदगी में रंग भरने का जुनून था
VINOD CHAUHAN
देखि बांसुरी को अधरों पर
देखि बांसुरी को अधरों पर
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
शिक्षक का सच्चा धर्म
शिक्षक का सच्चा धर्म
Dhananjay Kumar
हाहाकार
हाहाकार
Dr.Pratibha Prakash
मैं जिससे चाहा,
मैं जिससे चाहा,
Dr. Man Mohan Krishna
*मेरी इच्छा*
*मेरी इच्छा*
Dushyant Kumar
बेबस कर दिया
बेबस कर दिया
Surinder blackpen
इक आदत सी बन गई है
इक आदत सी बन गई है
डॉ. एकान्त नेगी
बेख़ौफ़ क़लम
बेख़ौफ़ क़लम
Shekhar Chandra Mitra
मनुष्य की पहचान अच्छी मिठी-मिठी बातों से नहीं , अच्छे कर्म स
मनुष्य की पहचान अच्छी मिठी-मिठी बातों से नहीं , अच्छे कर्म स
Raju Gajbhiye
जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे
जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
सच,मैं यह सच कह रहा हूँ
सच,मैं यह सच कह रहा हूँ
gurudeenverma198
जब कोई हो पानी के बिन……….
जब कोई हो पानी के बिन……….
shabina. Naaz
*आठ माह की अद्वी प्यारी (बाल कविता)*
*आठ माह की अद्वी प्यारी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
Loading...