सूरज काका
सुबह सवेरे सूरज काका
नित मुस्काते तुम आते हो
अपनी सोने की किरणों को
संग सदा ही ले आते हो ।
घड़ी भर भी विलंब न करते
नियत समय पर आ जाते हो
आकर अपना रौब जमाते
सारे जग में छा जाते हो ।
कभी सताते तेज धूप से
कभी नजर तनिक न आते हो
कभी तपाते तपन से अपनी
कभी तन को सेंक लगाते हो ।
सूरज काका रूठ न जाना
रोज धरा पर आते रहना
अपने उजाले से हम सबका
जीवन उज्ज्वल करते रहना ।
डॉ रीता
एफ – 11 , फेज़ – 6
आया नगर , नई दिल्ली – 47