सूप नखा का लंका पहुंचना
रावण बहना भाग कर,पहुंची भ्राता पास।
नाक हमारी कट गई,करो भ्रात विश्वास।।
दशरथ नंदन राम से, माँगा था कुछ प्यार।
गरिमा मेरी चीर कर,किया राम इनकार।।
बोले मुझसे प्रेम से,जाओ लक्ष्मण पास।
समझे जो वह यह उचित,पूरी हो तव आस।।
लक्ष्मण क्रोधी थे बहुत, ठुकराया मम प्यार।
लेकर पैना अस्त्र कर,किया नाक पर वार।।
काटा मेरी नाक को,बही रक्त की धार।
मिटी शान रावण बहन,समझो सीधा सार।।
प्राण हरो श्री राम के, दैत्य वंश रख लाज।
राम लखन सीता सहित, मेटो उनका साज।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम