सून गनेशा
सून गनेशा
तेरी आरती ऊतारुं मैं
तू अभिलाषा
मन से कैसे तूझे ऊतारुं मैं
ये एकदंता
तेरा रुप ये निहारुं मैं
संसार तुझ से
कभी ना तूम को भूल जाऊं मैं
ओ बाल गनेशा
मन्नत बस ये आप से मांगू मैं
बक्ष दो ये जहां
अब ना ख्वाईश कोई जताऊं मैं
कह दो पार्वतीपूत्र
कैसे गलतीयां अपनी सूधारुं मैं
हर साल की तरह
मोदक प्यार से तुम्हे चढा़ऊं मैं