Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2016 · 2 min read

सूनी कलाई

माँ क्यू सूनी है मेरी कलाई क्यूँ सूना है अपना अंगना बोलो ना माँ
माँ बोलो ना कहाँ है मेरी बहना ….हर घर में रक्षा सूत्र लेकर आई है बहना
फिर क्यों नहीं चहका अपना अंगना
काश मैं भी होता प्यारी सी बहना का भाई तो क्या सूनी रहती मेरी कलाई ..?
माँ से उत्तर न पाकर पूछा उसने दादी माँ से बोलो ना कहाँ है मेरी बहना ….?
दादी को तो जैसे सूंघ गया हो साँप क्योंकि स्वयं ने किया था घोर पाप
इक मासूम के खून से रंगे थे हाथ कैसे कुबूल करे वो अपना अपराध
भाई ने इतने प्रशनो की झडी लगाई किसीको कुछ कहते हुए न बन पाई
किया साहस भीगी पलकों से झुकी नजरों से कहने लगी ताई
बेटा चुप हो जाओ ना करो हमें मजबूर इस घर का बङा बेरहम है दस्तूर
मेरे भी घर इक बिटिया आई थी मगर इस खानदान को जरा भी ना भाइ थी
मार दिया गया उसे लेते ही जनम कोई नहीं समझ सका माँ का मरम
यहाँ अपराध समझा जाता है बेटी का जनम ना इसीलिए सूना है अपना अंगना
भाई सहम सा गया मगर उससे रहा ना गया कहा उसने अपनी माँ से
माॅ तुम तो नहीं रहीं कभी मजबूर फिर तुमने क्यों निभाया दस्तूर
माँ की जगह फिर बोली ताई बेटा मैंने तो बेटी को जन्म देकर मारा था
तेरी माँ ने तो उसे दे दी कोख में ही विदाई जनम लेने से पहले ही वो हो गई पराई
काँप उठी भाई की आत्मा तिलमिला उठा मन पैदा होते ही क्यों मारा दी जाती है बहन
मन सोचने को हुआ मजबूर क्यो इतना क्रूर है इस घर का दस्तूर
बालमन फिर से मचल उठा फिर से वो पूछने लगा बताओ न दादी कौन बंधेगा मुझको राखी
किसने दिया आपको ये अधिकार कि छीन लें मुझसे मेरी बहन का प्यार
किसके संग खेलू मैं होली किसकी मैं उठाऊंगा डोली …?
हिम्मत करके दादी बोली हाँ मैंने ही किया सबको मजबूर मैंने ही बनाया ये दस्तूर
क्योंकि बेटों से चलती है पीढियां होता है प्रपौत्र तो चढता है सोने की सीढियां
और पहुंचा देता है स्वर्ग देकर बेटी को जन्म क्यों भुगते हम नर्क इसीलिए करते है बेटे और बेटी में फर्क
भाई के दिल पर लगी हथोङे- सी चोट मगर ठान ली उसने बदलकर ररहेगा वो दादी की सोच
बदलकर रहेगा वो दादी की सोच …..

Language: Hindi
1 Like · 7 Comments · 1182 Views

You may also like these posts

Shiftme movers and packers in hadapsar
Shiftme movers and packers in hadapsar
Shiftme
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
कुछ लोग बात को यूॅं ही बतंगड़ बनाते हैं!
कुछ लोग बात को यूॅं ही बतंगड़ बनाते हैं!
Ajit Kumar "Karn"
गम और खुशी।
गम और खुशी।
Taj Mohammad
2757. *पूर्णिका*
2757. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
क्षतिपूर्ति
क्षतिपूर्ति
Shweta Soni
प्रीति
प्रीति
Rambali Mishra
योग
योग
लक्ष्मी सिंह
हक़ीक़त
हक़ीक़त
Shyam Sundar Subramanian
*नाम पैदा कर अपना*
*नाम पैदा कर अपना*
Shashank Mishra
खो दोगे
खो दोगे
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
मुक्तक- होली
मुक्तक- होली
आकाश महेशपुरी
*सपनों का बादल*
*सपनों का बादल*
Poonam Matia
आवाज़ दीजिए Ghazal by Vinit Singh Shayar
आवाज़ दीजिए Ghazal by Vinit Singh Shayar
Vinit kumar
उन लम्हों को..
उन लम्हों को..
हिमांशु Kulshrestha
वो ही
वो ही
Ruchi Sharma
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
भोर
भोर
Deepesh purohit
कुछ ऐसे भी लोग कमाए हैं मैंने ,
कुछ ऐसे भी लोग कमाए हैं मैंने ,
Ashish Morya
World tobacco prohibition day
World tobacco prohibition day
Tushar Jagawat
अंजुली भर नेह
अंजुली भर नेह
Seema gupta,Alwar
मिथिला बनाम तिरहुत।
मिथिला बनाम तिरहुत।
Acharya Rama Nand Mandal
#शेर-
#शेर-
*प्रणय*
किरन्दुल
किरन्दुल
Dr. Kishan tandon kranti
इंसान ऐसा ही होता है
इंसान ऐसा ही होता है
Mamta Singh Devaa
माँ
माँ
Dr Archana Gupta
प्रेम यहाँ कण-कण में है।
प्रेम यहाँ कण-कण में है।
Saraswati Bajpai
मेरी जिंदगी सजा दे
मेरी जिंदगी सजा दे
Basant Bhagawan Roy
ग़ज़ल (तुमने जो मिलना छोड़ दिया...)
ग़ज़ल (तुमने जो मिलना छोड़ दिया...)
डॉक्टर रागिनी
ग़ज़ल _ शरारत जोश में पुरज़ोर।
ग़ज़ल _ शरारत जोश में पुरज़ोर।
Neelofar Khan
Loading...