सूक्तियाँ
भय , विपत्ति में धैर्य को बलहीन करता है ,
संशय , आत्मविश्वास हिला पथभ्रष्ट करता है ,
लालसा , मानसिक विकार पैदा करती है ,
स्वार्थ , अनीति की ओर अग्रसर करती हैं ,
असंयम ,संबंधों के टूटने का कारण बनते हैं ,
अभिमान , संवेदनहीनता एवं उपेक्षा का कारण बनते हैं ,
व्यसन , चारित्रिक गुणों के विनाश का कारण बनते हैं ,
वासना, मतिभ्रष्ट कर पाप का कारण बनती है ,
आसक्ति , अवसाद का कारण बनती है ,
अपराधबोध ग्रस्तता , मानसिक अशांति उत्पन्न करती है ,
अव्यावहारिक नीति, विवाद का कारण बनती है ,
द्वेष एवं घृणा , दमन का कारण बनते हैं ,
आतंक एवं शोषण , प्रतिकार का कारण बनते हैं ,
अपरिपक्वता , क्षोभ का कारण बनती है ,
अकुशलता , पराजय का कारण बनती है ,
निरंकुशता , विद्रोह का कारण बनती है ,
आत्मस्तुति, निंदा का कारण बनती है ,