बिछ गई चौसर चौबीस की,सज गई मैदान-ए-जंग
Dr. Arun Kumar Shastri – Ek Abodh Balak – Arun Atript
लोगों की अच्छाईयांँ तब नजर आती है जब।
यदि हम आध्यात्मिक जीवन की ओर सफ़र कर रहे हैं, फिर हमें परिवर
सुख ,सौभाग्य और समृद्धि का पावन त्योहार
कभी मिले फुरसत तो उन लड़कों के बारे में सोचना,
कल जिंदगी से बात की।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
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वह मुझे दोस्त कहता, और मेरी हर बेबसी पर हँसता रहा ।
सत्तावन की क्रांति का ‘ एक और मंगल पांडेय ’
दिल टूटा तो हो गया, दिल ही दिल से दूर ।
वज़्न -- 2122 1122 1122 22(112) अर्कान -- फ़ाइलातुन - फ़इलातुन - फ़इलातुन - फ़ैलुन (फ़इलुन) क़ाफ़िया -- [‘आना ' की बंदिश] रदीफ़ -- भी बुरा लगता है
*"देश की आत्मा है हिंदी"*
जो भी सोचता हूँ मैं तेरे बारे में
घर की गृहलक्ष्मी जो गृहणी होती है,
मजबूत इरादे मुश्किल चुनौतियों से भी जीत जाते हैं।।
सोच हमारी अपनी होती हैं।