Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Feb 2018 · 2 min read

सुहाग..।।।

आज अपनी कोशिशों से अलग कुछ लिखने की कोशिश,आप सभी के सामने समीक्षा हेतु रख रहा हूँ आशीर्वाद प्रदान करें.।

सुहाग..।।।

हाँ सुहाग हूँ मैं
एक सुहागन के
माथे का ताज हूँ मैं
किसी ब्याहता के माथे का टीका
किसी के लिए पवित्र पूज्य
और किसी के लिए उसके माथे से
सदा लग कर रहने वाला
उसकी माँग का श्रृंगार हूँ मैं
मगर इधर के दिनों में मैं कुछ
उपेक्षित सा महसूस करने लगा हूँ ख़ुद को
कभी मैं हर ब्याहता नारी का
संबल हुआ करता था
मगर आज कई सुहागन मुझे
सुहाग की निशानी नहीं
मात्र एक लाल धब्बा समझती है
कभी मैं ब्याहता नारी की और
उसकी भरी माँग का
शुभ द्योतक हुआ करता था
मगर आज आपको मैं
कहीं खोजे नहीं मिलूँगा
मैं क्या आज आपको नारी के सर पे
उसके बालों,उसके जूड़े में
माँग ही बहुत खोजने पर मिलेगी
कभी मैं ब्याहता नारी के
माथे पर सुहाग की बिंदिया
बन कर चमकता रहता था
कभी मेरी अखंडता के लिए
कई कई दुआएं की जाती थीं
कभी मेरे नाम पर हाथों में
मेहंदी लगाई जाती थीं
कलाइयों में मेरे प्यार की
चूड़ियाँ खनका करती थीं
क्या क्या बोला जाता था मेरे लिए

“ऐसी दुआ है मेरी उस रब से
अखंड मेरा सदा सुहाग रहे
हर क्षण तेरे मन में मेरे लिए
बस प्यार की ही सौग़ात रहे
जब भी सोचूँ मैं तुझको साजन
बस तेरा अहसास पास रहे
हर घड़ी सुख या दुख हो
बस तेरे हाथों में मेरा हाथ रहे
तन मन में महको तुम हरदम
बनकर साँसों में साँस रहे
अखंड मेरा सदा सुहाग रहे,,

मगर आज आपको मैं घर के बाथरूम
,रसोई यहाँ तक शयन कक्ष की दीवारों की
शोभा बढ़ाते मिल जाऊँगा
आप मुझे पलंग,कुर्सी, पाया
और अगर कहीं नहींं तो
घर के दीवार से टंगे किसी आईने
से सटा तो मिल हीं जाऊँगा मैं आपको

हाँ सुहाग हूँ मैं
आज फैशन ने मुझे
सुहागनों की नजर में इतना
छोटा कर दिया है कि
पास होकर भी उनसे काफी दूर हूँ मैं
महत्वपूर्ण होकर भी महत्वहीन हो गया हूँ मैं
हाँ इतना जरुर है कि गाहे-बगाहे
तीज और करवा चौथ पर
सुहागनें मुझे सर पर बिठा कर रखतीं है
नहीं तो अब तो बस एक लाल धब्बा
बन कर रह गया हूँ मैं
फिर भी कहता हूँ कि
“सुहाग” हूँ मैं

विनोद सिन्हा
स्वरचित-१२//१२/२०१७

Language: Hindi
889 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दिए जलाओ प्यार के
दिए जलाओ प्यार के
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
छपास रोग की खुजलम खुजलई
छपास रोग की खुजलम खुजलई
Dr. Pradeep Kumar Sharma
***
*** " पापा जी उन्हें भी कुछ समझाओ न...! " ***
VEDANTA PATEL
भोर
भोर
Omee Bhargava
मैं पीपल का पेड़
मैं पीपल का पेड़
VINOD CHAUHAN
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अश्लील वीडियो बनाकर नाम कमाने की कृत्य करने वाली बेटियों, सा
अश्लील वीडियो बनाकर नाम कमाने की कृत्य करने वाली बेटियों, सा
Anand Kumar
विश्वास
विश्वास
Paras Nath Jha
मेरे बस्ती के दीवारों पर
मेरे बस्ती के दीवारों पर
'अशांत' शेखर
"किसी की याद मे आँखे नम होना,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
2962.*पूर्णिका*
2962.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जात-पांत और ब्राह्मण / डा. अम्बेडकर
जात-पांत और ब्राह्मण / डा. अम्बेडकर
Dr MusafiR BaithA
खामोश कर्म
खामोश कर्म
Sandeep Pande
उम्मीद - ए - आसमां से ख़त आने का इंतजार हमें भी है,
उम्मीद - ए - आसमां से ख़त आने का इंतजार हमें भी है,
manjula chauhan
💐प्रेम कौतुक-448💐
💐प्रेम कौतुक-448💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
प्रेम अपाहिज ठगा ठगा सा, कली भरोसे की कुम्हलाईं।
प्रेम अपाहिज ठगा ठगा सा, कली भरोसे की कुम्हलाईं।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
नारी निन्दा की पात्र नहीं, वह तो नर की निर्मात्री है
नारी निन्दा की पात्र नहीं, वह तो नर की निर्मात्री है
महेश चन्द्र त्रिपाठी
ज़िंदगी की अहमियत
ज़िंदगी की अहमियत
Dr fauzia Naseem shad
इकिगाई प्रेम है ।❤️
इकिगाई प्रेम है ।❤️
Rohit yadav
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
योग का गणित और वर्तमान समस्याओं का निदान
योग का गणित और वर्तमान समस्याओं का निदान
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
एक दिन में तो कुछ नहीं होता
एक दिन में तो कुछ नहीं होता
shabina. Naaz
दर्पण
दर्पण
Kanchan verma
वर्तमान के युवा शिक्षा में उतनी रुचि नहीं ले रहे जितनी वो री
वर्तमान के युवा शिक्षा में उतनी रुचि नहीं ले रहे जितनी वो री
Rj Anand Prajapati
दवा की तलाश में रहा दुआ को छोड़कर,
दवा की तलाश में रहा दुआ को छोड़कर,
Vishal babu (vishu)
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
"जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
कैसा होगा मेरा भविष्य मत पूछो यह मुझसे
कैसा होगा मेरा भविष्य मत पूछो यह मुझसे
gurudeenverma198
कितना भी दे  ज़िन्दगी, मन से रहें फ़कीर
कितना भी दे ज़िन्दगी, मन से रहें फ़कीर
Dr Archana Gupta
अयोध्या धाम तुम्हारा तुमको पुकारे
अयोध्या धाम तुम्हारा तुमको पुकारे
Harminder Kaur
Loading...