Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Sep 2024 · 5 min read

सुहागन वेश्या

महिमा बनारस की तंग गलियों में एक कोठे पर काम करने वाली एक साधारण सी लड़की थी। उसकी आँखों में सपने थे, पर जीवन की कठोर वास्तविकता ने उन्हें कभी साकार नहीं होने दिया। बचपन में माता-पिता की मृत्यु के बाद, उसे अपने चाचा-चाची के पास भेजा गया था, जो उसके साथ बहुत बुरा व्यवहार करते थे। जब वह सोलह साल की हुई, तो उसे बेच दिया गया और वह कोठे पर पहुँच गई।
महिमा ने संघर्ष करते हुए अपने आप को स्थिति के अनुसार ढाल लिया, लेकिन उसके मन में कभी भी ये काम पसंद नहीं आया। हर रात जब वह नए-नए ग्राहकों के साथ समय बिताती, उसके दिल में दर्द की एक नई लहर उठती। पर उसका ये जीवन केवल मजबूरी का ही परिणाम था। उसका दिल अब भी प्यार की तलाश में था, एक ऐसा प्यार जो उसे इस नरक से निकाल सके।
एक दिन, मोहन नाम का एक व्यक्ति उसके कोठे पर आया। मोहन एक सफल व्यवसायी था, लेकिन उसके जीवन में एक खालीपन था। उसने कभी प्यार का अनुभव नहीं किया था। जब वह महिमा से मिला, तो उसे कुछ अलग महसूस हुआ। महिमा की आँखों में छिपे दर्द ने मोहन के दिल को छू लिया। वह एक ग्राहक की तरह नहीं, बल्कि एक दोस्त की तरह उससे बात करने लगा।
महिमा ने पहले तो सोचा कि यह भी सिर्फ एक ग्राहक है, जो कुछ समय के बाद चला जाएगा। लेकिन मोहन हर बार जब आता, तो बस उससे बात ही करता। वह उसकी कहानियाँ सुनता, उसके दर्द को समझने की कोशिश करता, और बिना कुछ कहे उसकी मदद करना चाहता था। महिमा के जीवन में पहली बार उसे ऐसा महसूस हुआ कि कोई उसकी परवाह करता है, बिना किसी स्वार्थ के।
समय के साथ, महिमा और मोहन के बीच एक गहरा बंधन बनने लगा। महिमा ने मोहन को अपने दिल के सारे दुख बताए, और मोहन ने हर संभव कोशिश की कि वह उसकी मदद कर सके। हालांकि, वह जानता था कि इस कोठे से महिमा को निकालना आसान नहीं होगा।
मोहन को अब यह अहसास होने लगा था कि वह महिमा से प्यार करने लगा है। पर यह प्यार आसान नहीं था। समाज की बाधाएँ, उसके परिवार की सोच, और सबसे बड़ी बात, महिमा की खुद की स्थिति – ये सब कुछ मोहन के प्यार के रास्ते में खड़े थे।
मोहन ने अपने परिवार से महिमा से शादी करने की बात की। यह सुनकर उसका परिवार आग-बबूला हो गया। उनके लिए यह अस्वीकार्य था कि उनका बेटा एक वेश्या से शादी करे। मोहन के दोस्त और रिश्तेदार भी उसकी इस निर्णय से असहमत थे। उन्हें लगता था कि मोहन अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहा है।
दूसरी ओर, महिमा खुद भी इस रिश्ते को लेकर असमंजस में थी। वह जानती थी कि समाज कभी उसे स्वीकार नहीं करेगा, और वह नहीं चाहती थी कि उसकी वजह से मोहन को किसी तरह की परेशानी हो। परंतु मोहन का प्यार सच्चा था, और उसने महिमा को भरोसा दिलाया कि वह किसी भी कीमत पर उसका साथ देगा।
काफी संघर्षों और समाज के दबावों के बावजूद, मोहन ने महिमा से शादी कर ली। उसने समाज की परवाह नहीं की, क्योंकि उसके लिए महिमा का प्यार सबसे महत्वपूर्ण था। उन्होंने एक साधारण तरीके से शादी की, जिसमें केवल कुछ करीबी दोस्त और महिमा की ओर से कुछ साथी उपस्थित थे।
शादी के बाद, मोहन ने महिमा को बनारस से दूर एक नए शहर में ले जाने का निर्णय लिया, ताकि वे एक नई जिंदगी शुरू कर सकें। वहाँ महिमा ने धीरे-धीरे अपने अतीत को पीछे छोड़कर एक नई शुरुआत की। उसने एक नया नाम अपनाया और मोहन के साथ एक सामान्य जीवन जीने लगी।
मोहन ने उसे हर तरह से समर्थन दिया, उसे पढ़ने-लिखने के लिए प्रोत्साहित किया, और दोनों ने मिलकर एक छोटे से व्यापार की शुरुआत की। महिमा ने अब अपने सपनों को साकार होते देखा।
हालांकि उनका जीवन आसान नहीं था, लेकिन मोहन और महिमा ने हर मुश्किल का सामना मिलकर किया। महिमा का अतीत कभी-कभी उनके सामने आ जाता था, लेकिन मोहन ने हमेशा उसका साथ दिया। दोनों के बीच प्यार इतना गहरा था कि कोई भी समस्या उन्हें अलग नहीं कर पाई। समय बीतता गया, और धीरे-धीरे समाज ने भी उनके प्यार और समर्पण को स्वीकार कर लिया। लोगों ने उनकी कहानी को समझा और उन्हें एक नए नजरिए से देखना शुरू किया। दोनों ने मन्दिर में शादी कर ली।
मोहन और महिमा की शादी के बाद, दोनों को एक साथ पहली रात बिताने का मौका मिला। यह रात उनके जीवन की सबसे खास और भावुक रात थी। महिमा के लिए यह अनुभव न केवल नया था, बल्कि उसकी जिंदगी के सबसे बड़े संघर्षों में से एक भी था। जहाँ उसने अपने जीवन में इतने सारे लोगों का सामना किया था, वहीं यह रात उसके लिए बिल्कुल अलग थी – यह उसकी अपनी थी, जिसमें प्यार, सम्मान और समर्पण था।
मोहन और महिमा एक साधारण से कमरे में थे, जो फूलों से सजाया गया था। कमरे में हल्की सी मद्धम रोशनी थी, और फूलों की खुशबू हर ओर फैली हुई थी। यह माहौल किसी सपने जैसा था, और दोनों के दिलों में एक अनकही घबराहट और उत्सुकता थी। महिमा कमरे के एक कोने में खड़ी थी, और मोहन दरवाजे के पास। उनके बीच एक सन्नाटा था, जिसमें हजारों भावनाएँ छुपी थीं।
मोहन धीरे-धीरे महिमा के पास आया। उसने महिमा की आँखों में देखा, जहाँ उसे एक गहरा दर्द और थोड़ी सी झिझक नजर आई। मोहन ने महिमा का हाथ थामा और उसे धीरे-धीरे बिस्तर के पास ले गया। महिमा की आँखों में आँसू थे, लेकिन यह आँसू खुशी और प्रेम के थे, जो उसने कभी अपने जीवन में नहीं महसूस किए थे। मोहन ने उसे बैठाया और उसके आँसू पोंछे। उसने धीरे से कहा, “महिमा, आज की रात सिर्फ हमारी है। इसमें कोई दर्द नहीं, सिर्फ प्यार होगा।”
महिमा ने कभी इस तरह के प्यार और सम्मान की कल्पना नहीं की थी। मोहन का यह अपनापन उसे उसकी नई जिंदगी का अनुभव करवा रहा था। वह समझ नहीं पा रही थी कि कैसे प्रतिक्रिया दे। उसके मन में हज़ारों सवाल थे – क्या वह इस प्यार के योग्य है? क्या मोहन उसे सच्चे दिल से स्वीकार करेगा?
मोहन ने धीरे से महिमा को अपनी बाहों में लिया। उसने उसके बालों में हाथ फेरते हुए कहा, “महिमा, मैं जानता हूँ कि तुमने बहुत कुछ सहा है, लेकिन अब मैं तुम्हें कभी भी अकेला नहीं छोड़ूंगा। यह रात हमारी नई शुरुआत है।”
महिमा ने पहली बार महसूस किया कि उसका शरीर और आत्मा दोनों सुरक्षित हैं। मोहन ने उसे कभी भी मजबूर नहीं किया, उसने हर कदम पर उसकी सहमति और आराम को महत्व दिया। इस सुहागरात में शारीरिक संबंध से अधिक महत्वपूर्ण उनके बीच का भावनात्मक संबंध था।
मोहन ने धीरे-धीरे महिमा के सारे डर और असमंजस को अपने प्रेम और देखभाल से मिटा दिया। उन्होंने एक-दूसरे के पास बैठकर अपनी पुरानी जिंदगी की कड़वी यादों को भुलाने का प्रयास किया। उन्होंने एक-दूसरे से अपने सपनों, अपने भय और अपने भविष्य के बारे में बात की। महिमा मन ही मन सच्चे दिल से मोहन का आभार प्रकट कर रही थी – मोहन , मुझ वेश्या को सुहागन बनाने के लिए तुम्हारा आभार । मैं तुम्हारा यह उपकार जीवन भर नहीं भूलूँगी। यह रात उनके लिए एक गहरे संवाद का समय थी, जिसमें वे अपने दिल की बातें खुलकर कह सके। रात गहराती गई और उनके बीच का प्यार और भी गहरा होता गया।

*****

Language: Hindi
21 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
'अहसास' आज कहते हैं
'अहसास' आज कहते हैं
Meera Thakur
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
श्राद्ध पक्ष के दोहे
श्राद्ध पक्ष के दोहे
sushil sarna
मैं हूँ कौन ? मुझे बता दो🙏
मैं हूँ कौन ? मुझे बता दो🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आवाज़
आवाज़
Adha Deshwal
दिन गुजर जाता है ये रात ठहर जाती है
दिन गुजर जाता है ये रात ठहर जाती है
VINOD CHAUHAN
चाहतें हैं
चाहतें हैं
surenderpal vaidya
खिचे है लीक जल पर भी,कभी तुम खींचकर देखो ।
खिचे है लीक जल पर भी,कभी तुम खींचकर देखो ।
Ashok deep
बहते हुए पानी की तरह, करते हैं मनमानी
बहते हुए पानी की तरह, करते हैं मनमानी
Dr.sima
गज़ल
गज़ल
सत्य कुमार प्रेमी
क्यों गए थे ऐसे आतिशखाने में ,
क्यों गए थे ऐसे आतिशखाने में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
गुरु का महत्व एक शिष्य के जीवन में अनुपम होता है। हम चाहे कि
गुरु का महत्व एक शिष्य के जीवन में अनुपम होता है। हम चाहे कि
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
दोस्त,ज़िंदगी को अगर जीना हैं,जीने चढ़ने पड़ेंगे.
दोस्त,ज़िंदगी को अगर जीना हैं,जीने चढ़ने पड़ेंगे.
Piyush Goel
सुनो ये मौहब्बत हुई जब से तुमसे ।
सुनो ये मौहब्बत हुई जब से तुमसे ।
Phool gufran
गीत - जीवन मेरा भार लगे - मात्रा भार -16x14
गीत - जीवन मेरा भार लगे - मात्रा भार -16x14
Mahendra Narayan
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
शिव प्रताप लोधी
Universal
Universal
Shashi Mahajan
“लिखें तो लिखें क्या ?”–व्यंग रचना
“लिखें तो लिखें क्या ?”–व्यंग रचना
Dr Mukesh 'Aseemit'
"जीत की कीमत"
Dr. Kishan tandon kranti
* संस्कार *
* संस्कार *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
काली स्याही के अनेक रंग....!!!!!
काली स्याही के अनेक रंग....!!!!!
Jyoti Khari
राष्ट्रीय गणित दिवस
राष्ट्रीय गणित दिवस
Tushar Jagawat
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
Vansh Agarwal
प्रस्तुति : ताटक छंद
प्रस्तुति : ताटक छंद
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
यह जो मेरी हालत है एक दिन सुधर जाएंगे
यह जो मेरी हालत है एक दिन सुधर जाएंगे
Ranjeet kumar patre
कुण्डलिया छंद #हनुमानजी
कुण्डलिया छंद #हनुमानजी
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
..
..
*प्रणय प्रभात*
3838.💐 *पूर्णिका* 💐
3838.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
हर एक से छूटा है राहों में अक्सर.......
हर एक से छूटा है राहों में अक्सर.......
कवि दीपक बवेजा
प्यार के काबिल बनाया जाएगा।
प्यार के काबिल बनाया जाएगा।
Neelam Sharma
Loading...