” सुशोभित सतरंगी प्यार” (हिंदी कविता)
जब से छोड़ा शरीर ने साथ निभाना
मेरा सांवरा संय्या बनाए प्यार से खाना
कहते हैं की थी मोहब्बत बड़े ही जतन से
वक्त ने बदली नज़ाकत क्रिकेट के चमन से
परिवर्तन के इस युग में निभा रहे हैं यूं रिश्ते
दोनों पहिए लेंगे फिर मजे साथ चलते-चलते
जिंदगी के खट्टे-मीठे अनुभवों से हो सुसज्जित
सोने सी निखरती हुई और गहरी होगी हमारी प्रीत
बगिया के रंगबिरंगे फूलों की खुशबू महकाते हुए
बीते हुए लम्हों की कसक के साथ चहकते हुए
तीन चरणों में शामिल ज़िंदगी में हर रूप के होते दीदार
इंद्रधनुष से सुशोभित सतरंगी प्यार के रंग हजार