सुर बिना संगीत सूना.!
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===*सुर बिना संगीत सूना*===
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वो यादें रुलाती है हमें- लता की !
सूना पड़ा संगीत! कमी लता की।
खो गए सूरीले- वो लता-सुर कहां!
कैसे भूलें हम! आवाज- लता की।।
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अश्रु निकल पड़े थे- नेहरू जी के !
वो स्वर थे! स्वर्गीया– लता जी के।
वो दर्द-भरी आवाज- खो गई कहां!
भूलेंगे नहीं हम ! स्वर लता जी के।।
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बिना लता-स्वर ! संगीत सूना पड़ा !
देश को स्वर कोकिला- खोना पड़ा।
चली गई है लता! इस जहाॅं से कहां!
“लता-स्वर”! प्रेमियों को रोना पड़ा।।
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स्वर्गीया लता जी को शत् शत् नमन!
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।*रचयिता: प्रभुदयाल रानीवाल*।
।===*उज्जैन*{मध्यप्रदेश}*===।
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