Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Oct 2021 · 1 min read

सुरा का सुर

—————————-
पान करता सुर,सुरा था गान करता।( सुर=गायन के स्वर)
इन्द्र के दरबार में सुर और सुरा ।
अप्सराएँ नृत्य करती देवता रसपान करते
सोमरस जो देवता का,वह हमारा है सुरा।
सृष्टि था परमात्मा थे वेद सारा बेसुरा
सोमरस का लोभ इनमें देखिये था यूँ भरा।
राक्षसी प्रवृत्तियों से देवता का मन भरा।
मोहिनी के रूप पर मोहित यह कैसा देवता।

और इस भूलोक पर के लोग भी।
वेदना के नाम पर पीने को कहते हैं दवा।
हर खुशी में इस सुरा को सम्मिलित कर
गर्व को गौरव कहे व इस सुरा को संपदा।

बस सुधा के नाम पर मदिरा उठाए माथ पर
नृत्य करते गुनगुनाते, दु:ख पी लेती सुरा।
किस तरह कितना जलाती आदमी को यह सुरा।
जान पाता आदमी जब,हो चुका रहता बुरा।

रात क्या कभी इस सुरा से हो सका है रश्मिमय?
दिन अगर पी ले सुरा तो सत्य हो जाय मिथ्या।
मिथक सुर का,पान कर ले जो सुरा तो ले बना ज्यों देवता।
और खुद अभिशाप देकर,खुद को कर ले भस्म एवं राख सा।

पान मदिरा का हरण करता रहा है तर्क,बुद्धि,तेज,व विवेक सारा।
धूल-धूसरित कर दिया आया किया महासाम्राज्य की पराकाष्ठा।

किन्तु,मदिरापन इठलाता किया है सभ्यता के चरम को ले।
और संस्कृति का बड़ा संस्कार बनकर।
मद्य,मदिरा या सुरा या सोम कह लिजै इसे,या अरुण-लब।
नियति इसका है रुलाना दोस्त बनकर।

सत्य को उत्तम,अधम मिथ्या को भी रहने न देता।
सारी ख़ूबियाँ आदमी का रक्त सा पी,सोख लेता।
दुर्गुणों की सूची में सेवन सुरा का मान्यवर।
मान्यवर की सूची में होता न मदिरा मान्यवर।
———————————————–

Language: Hindi
449 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश
वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश
Sudhir srivastava
किस तरिया रोने तै डट ज्या बैठा बाजी हार के
किस तरिया रोने तै डट ज्या बैठा बाजी हार के
Baldev Chauhan
मुखौटे
मुखौटे
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
***** शिकवा  शिकायत नहीं ****
***** शिकवा शिकायत नहीं ****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
शेर
शेर
पाण्डेय नवीन 'शर्मा'
* धरा पर खिलखिलाती *
* धरा पर खिलखिलाती *
surenderpal vaidya
छठि
छठि
श्रीहर्ष आचार्य
प्रकृति और पुरुष
प्रकृति और पुरुष
आशा शैली
वक़्त और नसीब
वक़्त और नसीब
gurudeenverma198
रूठी साली तो उनको मनाना पड़ा।
रूठी साली तो उनको मनाना पड़ा।
सत्य कुमार प्रेमी
छल ......
छल ......
sushil sarna
#व्यंग्यकविता-
#व्यंग्यकविता-
*प्रणय*
मैया नवरात्रि में मुझपर कृपा करना
मैया नवरात्रि में मुझपर कृपा करना
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
वतन की राह में, मिटने की हसरत पाले बैठा हूँ
वतन की राह में, मिटने की हसरत पाले बैठा हूँ
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
प्रेम करने आता है तो, प्रेम समझने आना भी चाहिए
प्रेम करने आता है तो, प्रेम समझने आना भी चाहिए
Anand Kumar
प्यासे को पानी ....
प्यासे को पानी ....
sushil yadav
"रिश्तों के धागे टूट रहे हैं ll
पूर्वार्थ
पता नहीं किस डरसे
पता नहीं किस डरसे
Laxmi Narayan Gupta
फुर्सत नहीं है
फुर्सत नहीं है
Dr. Rajeev Jain
बगिया
बगिया
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
चलो कोशिश करते हैं कि जर्जर होते रिश्तो को सम्भाल पाये।
चलो कोशिश करते हैं कि जर्जर होते रिश्तो को सम्भाल पाये।
Ashwini sharma
क्या मेरी कहानी लिखे कोई
क्या मेरी कहानी लिखे कोई
Shinde Poonam
*शंका समाधान चाहता है*
*शंका समाधान चाहता है*
Ghanshyam Poddar
कवर नयी है किताब वही पुराना है।
कवर नयी है किताब वही पुराना है।
Manoj Mahato
3643.💐 *पूर्णिका* 💐
3643.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
#हिरदेपीर भीनी-भीनी
#हिरदेपीर भीनी-भीनी
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा, रामपुर (उत्तर प्रदेश
*आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा, रामपुर (उत्तर प्रदेश
Ravi Prakash
अपनी कार
अपनी कार
अरशद रसूल बदायूंनी
आ जाये मधुमास प्रिय
आ जाये मधुमास प्रिय
Satish Srijan
हम कितने आजाद
हम कितने आजाद
लक्ष्मी सिंह
Loading...