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8 Jul 2020 · 1 min read

सुरमयी शाम सुहानी

**सुरमयी शाम सुहानी**
*******************

सुरमयी शाम सुहानी सी
मस्ती में मस्त मस्तानी सी

शीत हवाएं चल रहीं हैंं
तन में आग ज़िस्मानी सी

यह जो तुषार जम रही है
रूह जम गई बर्फ़ानी सी

मय सा नशा भी है छाया
रंग दिखाए निशानी सी

दहकता गौरी का यौवन
प्रेम जगाए रुहानी सी

आँखे में खुमारी छायी
बात बताए जुबानी सी

सुखविन्द्र हुआ दीवाना
बन जाएगी कहानी सी
*****************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

1 Like · 2 Comments · 348 Views
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