सुरमई शाम की एक जाम
एक सुरमई शाम में,
तू लौट आई है बनकर,
नशा ! फिर मेरी जाम में।
एक सुरमई ……।
मैं तनहा- तनहा था,
खुद में हीं खोया- खोया था,
तेरे इंतज़ार, तेरे नाम में,
एक सुरमई ……।
तुम्हें मेरा कुछ न ख्याल था,
बस इसी बात का मलाल था,
तुम्हें फुर्सत नहीं था काम में,
एक सुरमई ……।
खैर! तू ना आई ,
तेरा ख्याल हीं आ गया,
चोटिल हृदय की धाम में,
एक सुरमई ……।
खुशबू भी चली गई,
गुलाब की, टूट गई पंखुड़ियां।
तेरी मुहब्बत की मुकाम में,
एक सुरमई ……।
दिल का एक हिस्सा मेरा,
दूजा तो तेरा ही रहा।
तेरे हिस्से की धड़कन रूक गई,
मेरा धड़कता रहा, तेरे ही पयाम में
एक सुरमई …….।
दिल में दर्द ऐसा हुआ,
लहू आंसूओं की शक्ल में,
आंखों से गिर गई फिर उसी जाम में,
एक सुरमई …..।