सुरभित मुखरित पर्यावरण
शीतल सुगन्धित सुरभित सा
एक पवन का झौंका आया
सर सर बहता वो लहराया
कानों में मेरे फुसलाया
हे मनुज ! एहसास करो
ये सुरभित वायु, स्वच्छ मनोरम वातावरण
झर झर बहते झरने..कल कल करती नदियाँ
हर्षाते पुष्प और ये गुनगुनाते भँवरे
कलरव करते पक्षी..कू कू गाती कोयल
स्वछंद घूमते..आज़ादी मनाते ये पशु पक्षी
प्रकृति के कण कण में बिखरी सुगंध
फल फूल से आच्छादित हरे भरे पुष्पित सुगन्धित वृक्ष
आकाश में छाई काली घटाएं..घुमड़ते गरज़ते ये मेघ
रिमझिम रिमझिम बारिश और मिट्टी की सोंधी सी खुशबू
अहा,कितना मनोहारी दृश्य है !
कितनी मुश्किल से तू इस क्षण को जी पाया
कोरोना वायरस अपने संग एक सीख भी ले आया
भौतिकता नहीं जीवन ज्यादा ज़रूरी ये बतलाया
हे मानव तू भूल गया था ज़िम्मेदारी अपनी
मत कर अपमानित वन देवी को..धरती माँ को
अब भी समय है संभल जाओ मेरे दोस्त
प्रदूषण रोको..छोड़ो मोटर गाड़ी
सादा जीवन उच्च विचार की शैली अपनाओ
कंकरीट को छोड़ो..अब तो वृक्ष लगाओ
भावी पीढ़ी के लिए कुछ तो संकल्प उठाओ
इस जीवन को सुरभित कर लो,पर्यावरण महकाओ