सुरज से सीखों
सुरज कहता है देखो मै
कैसे दुर भगाता हूँ अँधियारा
बिना कोई छल कपट कियें
सब पर डालता हूँ ,
एक जैसा नजर फेरा।
मेरे लिए नही कोई है अपना।
मेरे लिए नही कोई पराया।
सब पर अपना तेज प्रकाश
मै एक जैसा फैलता हूँ।
खुद अपने को मै जलाकर
सब के जीवन रोशन करता हूँ।
रोशनी का मन मे संकल्प लेकर
मन मे दृढ निश्चय के साथ
चीरकर अँधेरे का दामन
मन मे एक विश्वास लेकर
हर सुबह मै तुम्हारे पास आता हूँ।
अपने उर्जा अपने संकल्प से
तुम्हें रोज मै सिखाता हूँ।
जीवन जीने के लिए अपने मन मे
दृढ़संकल्प और दृढनिशचय
मन मे होना चाहिए।
तब जाकर जीवन मे
हर सपने साकार होते है।
सुरज अपने कर्म पथ से
रोज हमें सिखाता है।
देखो कैसे मै प्रकृति की
हर विकृति से लड़ता हूँ।
चाहे अँधेरा हो या बादल
मै हार कभी नही मानता हूँ।
मै कर्म पथ पर
हर समय डिगा रहता हूँ
अपने अंदर की उर्जा से
हर मुश्किल पार कर जाता हूँ।
तुम भी चाहते हो अगर
हर मुश्किल को पार कर जाना।
अपने अन्दर की उर्जा को
सबसे पहले जरूरी है जगाना।
फिर देखो कैसे तेरे जीवन मे
कदम हमेशा जीत को छूती है
हार तेरा रास्ता कैसे
छोड़कर चली जाती है
देखो कैसे हर मुश्किल
तेरे सामने से छट जाती है।
अनामिका