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10 Mar 2022 · 1 min read

सुमेरु, शास्त्र, विधाता छंद

?
!! श्रीं !!
?
सुमेरु छंद- 19 मात्रा
1222 1222 122
****************
कभी भी कर्म‌ से घबरा न जाना ।
कदम तुम ठोस ही अपना उठाना ।।
सदा उसको मिली‌ मंजिल चला जो ।
वही दीपक कहाता है जला जो ।।
*
शास्त्र छंद- 20 मात्रा
1222 1222 1221
****************
चलेगा छोड़ ये दुनिया किसी रोज।
करेंगे लोग तेरे नाम का भोज ।।
नहीं‌ कोई सुने उस रोज आवाज ।
मिलेगा धूल में‌ सिर पर धरा ताज ।।
*
विधाता छंद- 28 मात्रा
1222 1222, 1222 1222
*****************
नहीं शीशा कभी चाँदी, हुआ बेशक चमकता है ।
दमकती चीज के पीछे, अरे मन क्यों बहकता है ?
छला करती सदा तृष्णा, मृगों सा क्यों भटकता है ?
चिड़ी का नीड़ है दुनियाँ, जहाँ बैठा चहकता है ।।
?
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
***
???

Language: Hindi
132 Views
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