सुमुखि सवैया
#प्रियतमा_द्वारा_मनुहार
सुमुखि सवैया = जगण X 7 + लघु + गुरु
या, । ऽ। । ऽ। । ऽ। । ऽ। । ऽ। । ऽ। । ऽ। । ऽ
( ०१ )
कहे हम से पथ ठीक नहीं, तुम पंथ मृषा चलना न कभी।
दिवाकर हो मम जीवन में, निशिवासर हो ढलना न कभी।
सदा कहती उर देव अहो ! हिय मंदिर से टलना न कभी।
करूँ नित वंदन वल्लह हे ! धर मार्ग बुरा छलना न कभी।।
( ०२ )
कहें सजनी सुन लो हम से, मम जीवन में उजियार भरो।
सुहाग बने अब साथ रहो, रह दूर नहीं अगियार भरो।
शुभे ! तुम ही इस जीवन में, हरबार सदा शुभ प्यार भरो।
अहो ! सजना मनमीत सुनो, बन प्रीत सदा भरमार भरो।।
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’