सुभाष चन्द्र बोस
कुंदन जैसी मातृभूमि पर, सुभाष सच्चे नेता थे।
सही मायने में भारत के, ओजवान अभिनेता थे।।
सुभाष ने चरितार्थ किया था, नेता की परिभाषा को।
पूर्ण किया अपनी ताक़त से, जनता की अभिलाषा को।।
विश्व पटल पर अमिट छाप को,छोड़ा था तरुणायी में।
भींच लिया आधी दुनिया को, अपनी ही अगुवाई में।।
वसुंधरा का कोना- कोना, गूंज उठा था नारों से।
हत प्रभ थी अंग्रेजी सेना, सुभाष के ललकारों से।
दिनकर सम ललाट जिनका था,भारत-गौरव शानी थे
हिन्द अग्रणी महान नेता, दृढ़प्रतिज्ञ बलिदानी थे।।
निज स्वत्वों की लड़े लड़ाई, डिगे नहीं मक्कारों से।
डरे नहीं कायर गोरों के, गोली की बौछारों से।
अप्रतीम मेधाबल पौरुष, जो सुभाष का जाने थे।
अदम्य संप्रभुता का उनके, नत हो लोहा माने थे।।
अमर-पुत्र जय हिन्द प्रणेता, कीर्ति ध्वजा लहराएंगे।
जब तक सूरज-चांद गगन में, स्वर्णिम गाथा गाएंगे।।
डॉ० छोटेलाल सिंह मनमीत