*सुबह हुई तो सबसे पहले, पढ़ते हम अखबार हैं (हिंदी गजल)*
सुबह हुई तो सबसे पहले, पढ़ते हम अखबार हैं (हिंदी गजल)
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1)
सुबह हुई तो सबसे पहले, पढ़ते हम अखबार हैं
अपनी आदत है बचपन से, आदत से लाचार हैं
2)
एक बार खबरों को पढ़कर, तृप्ति कहॉं मिल पाई
अखबारों के पृष्ठ पलटते, रहते बारंबार हैं
3)
शब्द गढ़े हैं हमने सारे, अखबारों को पढ़कर
मध्य-पृष्ठ से मिली प्रेरणा, आते रहे विचार हैं
4)
अपने नगर-गॉंव की खबरें, दुनिया भर की बातें
फुर्सत से अखबारों में ही, पाते हम आकार हैं
5)
प्रामाणिकता का जब-जब भी, प्रश्न उठा है जग में
अखबारों को सब ने माना, होते जिम्मेदार हैं
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451