सुबह सुहानी आ रही, खूब खिलेंगे फूल।
सुबह सुहानी आ रही, खूब खिलेंगे फूल।
समय कभी खोना नहीं, समझें इसका मूल।
मुख पर आने दीजिए, सुन्दर सी मुस्कान।
और उलझनें व्यर्थ की, सभी दीजिए भूल।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २५/१०/२०२३
सुबह सुहानी आ रही, खूब खिलेंगे फूल।
समय कभी खोना नहीं, समझें इसका मूल।
मुख पर आने दीजिए, सुन्दर सी मुस्कान।
और उलझनें व्यर्थ की, सभी दीजिए भूल।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २५/१०/२०२३