Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Apr 2021 · 2 min read

सुबह सवेरे

सुबह -सवेरे,
घर में मेरे।
चहकीं चिड़ियां ,
कलरव गया।
देखि मनोरम दृश्य-
मनुआ मेरा हर्षाया।
खिले फूल,कलियाँ मुस्कायीं,
पाकर किरणों का आलिंगन।
खुशबू से भर आया ,
मेरा घर -आँगन।।
बहुरंगी तितलियाँ दौड़ीं ,
पाने को फूलों का चुम्बन।
भोरें झूम उठे मस्ती में –
पाने को फूलों से अभिनन्दन।।
“अटल मुरादाबादी ”
Posted 25th March 2016 by vinod gupta

0 Add a comment
MAR
22

“सभी देशवासियों को होली की हार्दिक शुभकामनायें ”

होरी खेलें रे ब्रज -बाला।
संग में नन्द के लाला।।
होरी ——————
संग —————–

भरी पिचकारी,अंगना पे मारी।
भिगोये दई चुनरी म्हा री।
भयो ये खेल निराला।
होरी खेलें रे ब्रज -बाला।।
संग में नन्द के लाला।
होरी खेलें रे ब्रज -बाला।।

कोई पीवे भांग को प्याला।
धरे कोई भेष निराला।।
होरी खेलें रे ब्रज -बाला।
संग में नन्द के लाला।।

काहू की पहिचान न पड़िबो ,
काहू को मुँह पीलाऔर काला।
होरी खेलें रे ब्रज -बाला।
संग में नन्द के लाला।।

लठ -मार कोई खेलवो होली ,
लागे कोई सबुन में आला।
होरी खेलें रे ब्रज -बाला।
संग में नन्द के लाला।।

“अटल मुरादाबादी ”
Posted 22nd March 2016 by vinod gupta

0 Add a comment
JAN
26
नमन उन शहीदों को हम करे,जिनके कारण ही महफूज़ हमआज हैं।
खड़े वो रहे शरहदोँ पर निडर ,मिट गए देश पर वो जांबाज़ हैं।

कियें हैं विफल दुश्मनो के ब्यूह,बचाया है संसद को देकर के जां।
उतारा है मौत के घाट उनको, जो गद्दार और दगा-बाज हैं।

कभी कारगिल में लड़े वो, गुरदासपुर में दी हैं कुर्बानियां।
परवाह नहीं की शरद-ताप की ,सरहदे-हिन्द के वो सरताज़ हैं।

जान कुर्बान कर दी पठानकोट में, सुरक्षा की खातिर,एयरबेस की।
जब तक जिए बेख़ौफ़ वो रहे,आसमां में उड़ते वो अरवाज हैं।

सिर कटाया भले, सिर झुकाया नहीं ,न ही झुकने दिया तिरंगा कभी,
उरी हो या घटना हो पुलवामा की, दुश्मनों पर झपटते वो शह-बाज़ हैं।

आगे बढे हैं वो रण -वांकुरें,खाकर के सीने पर गोलियां –
हो गए वो वतन पर निछावर मगर,हिंदोस्तां की वो आवाज़ हैं।

“अटल मुरादाबादी”
Posted 26th January 2016 by vinod gupta

JAN
26

कभी कासिम ,कभी नावेद ;
कभी बनकर वो आते है कसाब।
देश का हर नागरिक यह पूछता –
कब देंगे हम उनको जबाब।।

वतन पर मिटने वालों की ,
नहीं जायगी कुर्बानी ख़राब।
वतन का हर खैरख्वाह –
मांगता है अब हिसाब।।

इन्तहां हो गयी ,खूं खोलता है;
नहीं होता सहन अब कोई दबाब।
गर्जना करते थे जो कभी शेरों की –
आज क्यों चुप हैं ज़नाब।

Posted 26th January 2016
NOV
17
छाता रहा आफ़ाक़ पे,
बादलों का –
सावनी हंसी समां।
कुछ बंधा -बंधा सा।
एक प्रेयसी –
लिये पथराए नयन –
गुम -सुम सरनिगू,
बेतहासा, बैठी है;
किसी के इंतज़ार पे –
जज़्बी एतमाद पे।
आँखों में बेकरारी ,बेबसी का इज़हार ,
पेशानी पे हार का इकरार।
अभी तक बैठी है –
हसरत की तुरबत पे,
चरागाँ ए-शाद जलाने को।
बीते लम्हात पाने को।
लेकिन ,क्या कभी –
पहचान पायेगा वो बेवफा प्रेमी –
उसके इंतज़ार को।
जज़्बी एतवार को।
सरापा -नियाज़ ,छुपी दामने -यकीं ,
बैठी है ,आज तक लेकिन –
किसको खबर थी ;
वो नहीं आएगा।
सावन का हंसी समां –
यूं ही गुज़र जायेगा।

“अटल मुरादाबादी “

Language: Hindi
272 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
यह जो तुम कानो मे खिचड़ी पकाते हो,
यह जो तुम कानो मे खिचड़ी पकाते हो,
Ashwini sharma
नाकामयाबी
नाकामयाबी
भरत कुमार सोलंकी
प्रेम का पुजारी हूं, प्रेम गीत ही गाता हूं
प्रेम का पुजारी हूं, प्रेम गीत ही गाता हूं
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
एक अजब सा सन्नाटा है
एक अजब सा सन्नाटा है
लक्ष्मी सिंह
मेरी जिंदगी सजा दे
मेरी जिंदगी सजा दे
Basant Bhagawan Roy
चिट्ठी   तेरे   नाम   की, पढ़ लेना सरकार।
चिट्ठी तेरे नाम की, पढ़ लेना सरकार।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
भक्ति एक रूप अनेक
भक्ति एक रूप अनेक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इंसान की भूख कामनाएं बढ़ाती है।
इंसान की भूख कामनाएं बढ़ाती है।
Rj Anand Prajapati
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकें।
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकें।
Dr. Narendra Valmiki
*वो नीला सितारा* ( 14 of 25 )
*वो नीला सितारा* ( 14 of 25 )
Kshma Urmila
अफ़सोस का बीज
अफ़सोस का बीज
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
अधरों को अपने
अधरों को अपने
Dr. Meenakshi Sharma
बेटियां
बेटियां
Dr Parveen Thakur
2721.*पूर्णिका*
2721.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
स्वाभिमान
स्वाभिमान
Shyam Sundar Subramanian
भ्रूणहत्या
भ्रूणहत्या
Neeraj Agarwal
आदमी की गाथा
आदमी की गाथा
कृष्ण मलिक अम्बाला
उल्फ़त का  आगाज़ हैं, आँखों के अल्फाज़ ।
उल्फ़त का आगाज़ हैं, आँखों के अल्फाज़ ।
sushil sarna
सिया राम विरह वेदना
सिया राम विरह वेदना
Er.Navaneet R Shandily
वक्त वक्त की बात है ,
वक्त वक्त की बात है ,
Yogendra Chaturwedi
यह जो मेरी हालत है एक दिन सुधर जाएंगे
यह जो मेरी हालत है एक दिन सुधर जाएंगे
Ranjeet kumar patre
कैसे कह दूं मुझे उनसे प्यार नही है
कैसे कह दूं मुझे उनसे प्यार नही है
Ram Krishan Rastogi
गुस्सा सातवें आसमान पर था
गुस्सा सातवें आसमान पर था
सिद्धार्थ गोरखपुरी
चाँद
चाँद
Vandna Thakur
चेहरा और वक्त
चेहरा और वक्त
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
बेशक खताये बहुत है
बेशक खताये बहुत है
shabina. Naaz
शहर की बस्तियों में घोर सन्नाटा होता है,
शहर की बस्तियों में घोर सन्नाटा होता है,
Abhishek Soni
मित्र, चित्र और चरित्र बड़े मुश्किल से बनते हैं। इसे सँभाल क
मित्र, चित्र और चरित्र बड़े मुश्किल से बनते हैं। इसे सँभाल क
Anand Kumar
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...