सुबह न हो सकेगी
ये रस्में मोहब्बत अदा न हो सकेगी
खैर छोड़ो तुमसे वफ़ा न हो सकेगी
आंखिरी सांस तक पीछा न छोड़ेगा
ये मर्जे इश्क़ है इसकी दवा न हो सकेगी
क्या बताएं तेरी फुरकत मे कैसे जीते हैं
अपनी बदहाली हमसे बयां न हो सकेगी
एक बार जो ढल गई ज़िन्दगी की शाम
फिर दोबारा कभी सुबह न हो सकेगी
ये अलग बात है कि तू बिछड़ जाए मुझसे
तेरी याद मेरे दिल से जुदा न हो सकेगी
एक बार मोहब्बत की भूल हुई थी हमसे
क्या ये हसीं भूल दोबारा न हो सकेगी