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18 Jun 2023 · 1 min read

*सुबह टहलना (बाल कविता)*

सुबह टहलना (बाल कविता)

सुबह टहलने जाती जनता
सुंदर दृश्य देखते बनता
कोई दौड़-दौड़ कर चलता
बातें करना उसको खलता
कुछ धीरे-धीरे चलते हैं
ऑंखों को रहते मलते हैं

रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

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