*सुबह टहलना (बाल कविता)*
सुबह टहलना (बाल कविता)
सुबह टहलने जाती जनता
सुंदर दृश्य देखते बनता
कोई दौड़-दौड़ कर चलता
बातें करना उसको खलता
कुछ धीरे-धीरे चलते हैं
ऑंखों को रहते मलते हैं
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451