सुबह की धूप सी वो लड़की
कितनी तकलीफ में वो रही होगी
सुलगती सी बात जाने किस तरह
अपने प्राण से कही होगी
रौंदा होगा किसी ने ख्वाब में ख्वाब उसके
उसी के टीस में कुछ बक गई होगी
छुपाया होगा हथेलियों से चेहरा अपना
और फफक कर वो रो पड़ी होगी
सुबह की धूप सी वो लड़की
आंसुओं के नदी में देर तक बही होगी
~सिद्धार्थ