सुबह का संदेश।
सुबह का एक संदेश ही,
अपने आप में सौगात है,
नहीं तो आजकल कहां किसी से,
हो पाती कोई बात है,
दिल से आभारी हूं मैं उनका,
जो मुझे भी याद करते हैं,
कुछ काम के दौरान,
तो कुछ काम के बाद करते हैं,
थोड़ा ही सही पर कम-से-कम,
संवाद बना रहता है,
आते-जाते संदेशों से,
एक अच्छा साथ बना रहता है,
जीवन अपने आप में एक,
चक्र है आशा-निराशा का,
ये संदेश भी तो होते हैं,
स्वरूप एक मीठी भाषा का,
ना है कहीं पे शिकायत कोई,
ना है कहीं कोई शिकवा गिला,
दुआ है कि चलता रहे,
यूं ही ये संदेशों का सिलसिला।
कवि-अंबर श्रीवास्तव