//…सुप्रभात…//
# सुप्रभात
मनुष्य जितना अपना ,
जीवन जीता है
उस का उसको
अवश्य ही ,
अनुभव होता है….!
क्यों ना इतना ,
कर लेता बस ,
प्रेम नाम का ,
सुमिरन कर ले
शांति का
गुंजन होता है …..!
इससे मन
प्रफुल्लित ,
आनंदित
सब से संबंध ,
अच्छा होता है…..!
चिन्ता नेताम ” मन ”
डोंगरगांव (छत्तीसगढ़)