..सुप्रभात
..सुप्रभात
झुकना अपनेपन की ख़ातिर, हार नहीं जय कहलाएगा।
आँधी में वृक्ष झुका बच पाये, सीधा रहा उखड़ जाएगा।।
प्रकृति हमें नित बहुत सिखाए, हरपल इसका हम ध्यान करें।
सीखें इससे इसे सजाएँ, सबके जीवन में रंग भरें।।
..आर.एस. ‘प्रीतम’
..सुप्रभात
झुकना अपनेपन की ख़ातिर, हार नहीं जय कहलाएगा।
आँधी में वृक्ष झुका बच पाये, सीधा रहा उखड़ जाएगा।।
प्रकृति हमें नित बहुत सिखाए, हरपल इसका हम ध्यान करें।
सीखें इससे इसे सजाएँ, सबके जीवन में रंग भरें।।
..आर.एस. ‘प्रीतम’