सुपर वुमन
इस lockdown में हर कोई अपने घर में बंद है, सब एक अनजाने भय से घरों में दुबके पड़े है, हाँ मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी नहीं आजकल नरिंदर मोदी है,? अब प्रश्न यह है कि इस lackdown में घर बैठी महिलाओं की क्या स्थिति है? हाहाहाहा, यह भी एक ज्वलंत मुद्दा ही है, कामवाली बाइयाँ छुट्टी पर भेज दी गई हैं, इसलिए घर का सारा काम कुशल गृहणियों पर आन पड़ा है, जो महिलाएँ बर्तनों को हाथ भी नहीं लगाती थी( मेरे जैसी ?) आज तीन टाइम बर्तन घिस रही हैं,इतना ही नहीं, झाड़ू-पोछा भी चल रहा है, कपड़े भी धोये जा रहे थे, इस से पहले जब भी यह सब मुझे करना पड़ा है,मुझे हमेशा बुखार आया है?I
भाग्य विंडम्ब्ना आज मैं सुपर वुमन बन गई हूँ , बच्चे सारा दिन टीवी देख रहे है,मनपसंद इंडोर गेम्स खेल रहे है, सारा दिन पलंग तोड़ रहे है, पतिदेव की भी छुट्टियाँ चल रही है,
सारा सारा दिन सिर्फ सो सो कर भी इन्हें हर तीन घंटे के बाद भूख लग रही है
अब तीन टाइम के भोजन के साथ-साथ, पांच टाइम की चाय और दो टाइम स्नैक्स भी हम महिलाओं के जिम्मे, इतना काम तो पूरी ज़िंदगी में मैंने या हम सब ने नहीं किया होगा, इतने काम के साथ स्कूल से ऑनलाइन काम भी सभी teachers कर रहे है I और आज सुबह पतिदेव ने पूछा,” फ्री रह रह कर थक रही हो न तुम? holidays एन्जॉय करो, holidays ? I जानते हो उस वक़्त मेरा मन क्या कर रहा था? अंदाज़ा लगाइये? हो सके तो कमेंट सेक्शन में बताएं??
अंजनीत