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24 Dec 2018 · 1 min read

सुन लो गुहार

नष्ट कर दिये
वन तूने
मिटा दिए वृक्ष
खत्म किया
हरियाली का घेरा
कहीं कटती रैन
कहीं कटता सवेरा
अब तो
हर मकान की
मुंडेरों पर
हर छत बालकनी में डाला डेरा
हम बेजुबान बेसहारों का
अब बस यही
बसेरा
भला हो तेरा
यदि हो दया दृष्टि
एक कटोरी दाना-पानी
है तेरे हाथ में सब-कुछ
है यह नज़रिया तेरा।

रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
1 Like · 377 Views
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