सुन मन मेरे
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सुन मन मेरे
चल आज कुछ करें
मन की मन में न रहे
चल कुछ करे
सुन्दर प्रकृति बड़े
कितने रंग बिखेरे पड़े
चल खुद में रंग भरे
निखर-सँवर उठे
सुन मन मेरे……
दीप आशा की जले
मन में रोशनी भरें
अँधेरे से फिर लड़े
हिम्मत से चल आगे बढ़े
सुन मन मेरे…..
कुछ हलचल करें
मौन-शांत क्यों खड़े
कुछ उथल-पुथल करें
मन में उमंगें भरे
सुन मन मेरे………
सुन मन मेरे
चल आज कुछ करें
मन की मन में न रहे
चल कुछ करें
???—लक्ष्मी सिंह ?☺