” सुन कोरोना ! ”
सुन कोरोना ! जब तु आया था ,
सब के मन में डर समाया था ।
ना तु अपना है ना तु पराया है ,
तु तो बस एक साया है ।
छोटी छोटी गलतियां हमारी तुने याद दिलाया है ,
दुनिया के इतिहास में सिर्फ अपना नाम दर्ज़ कराने आया है ।
आज नहींं तो कल ,
एक दिन तो तेरा नामो – निशां मिट जाएगा ।
तेरी वैक्सिंग ढूढ़ कर ,
कोई वैज्ञानिक तो अपना नाम अमर कर जाएगा ।
धन्यवाद
ज्योति
नई दिल्ली