सुन ओ पाकिस्तान !
ज़रा सुन ओ पाकिस्तान ,
अपनी औकात को पहचान ,
मझधार में डूब रही है तेरी नैया ,
जा पहले अपनी तो बचा जान ,
करोड़ों का कर्ज़ा चढ़ा तुझ पे ,
भिखारी बन घूम रहा यहाँ -वहां .
जिस डाल पे बैठा ,उसकी खबर कर ,
यूँ अपने तेवर न दिखा भाई जान !
कश्मीर तो पहले भी हमारा ही था ,
आज भी है और हमेशा रहेगा माने सारा जहाँ .
तू अपनी गीदड़ भभकियां बंद कर दे ,
वार्ना करना होगा तुझे फिर हमारे शेरों से सामना .