सुन्दर प्रियतमा के साथ
सुन्दर प्रियतमा के साथ भी,
जब घेरे अवसाद!
कोई अति प्रिय वस्तु खोने का
सदा रहता एहसास!!
कोहरे की धुन्ध में
सिर्फ पाता अभास
इस जगत की छड़-भंगुरता का
जब आ जाता विश्वास!!!
है उसका इस हृदय में
ऋजु-वास…
उत्थित होती है तभी
तरुण- अनबुज प्यास।