सुन्दर कली
!! सुन्दर कली !!
ए कली तू दूर हो जा मेरी नजरों से मैं तुझे देखना नहीं चाहता।
देख कर तुझे अपनी नजरों पर पाप चढ़ाना नहीं चाहता।।
क्योंकि तुझे जो देखता है वह तुझपे मोहित हो जाता है।
और तुझे पाने के लिए उल्टा सीधा सोचना शुरू कर देता है।।
मैं नहीं चाहता कि यही गलती मुझसे भी हो जाए।
और तुझ जैसे परी को कोई बुरी नजर लग जाए।।
तू न जाने किस के लिए बनी है? और कौन तुझे पाएगा?
जो भी तुझे पाएगा क्या इस तरह से तुम्हें बना पाए रखेगा?
क्या बखान करूं तेरा? क्या गुनगान करूं तेरी इस खूबसूरती का?
तुझे देख कर आलसी भी सक्रिय हो जाए क्या नाम दूं उस फुर्ती का?
कोमल सा बदन है तेरा हिरणी जैसी कदम की चाल।
देखकर कहता है लगन बिगड़ जाता सभी का हाल।।
कवि – जय लगन कुमार हैप्पी ⛳