सुनो
है जीवन इक पहेली,बूझना ही पड़ेगा,
राह की रुसवाइयों से,जूझना ही पड़ेगा।
क्यों भला फूलों की खुशबू ढूंढते हो तुम,
दामन के काँटो से तो उलझना ही पड़ेगा।
मत कदम रोको,डगर में दुश्वारियां देख कर
मंज़िल को पाने के लिए चलना ही पड़ेगा।
क्यों व्यर्थ बुन रहे हो,नफरत का यह ताना,
खुशियों के लिए प्रेम पथ चुनना ही पड़ेगा।
मानव जन्म मिला है तो न फ़र्ज़ को भूलो,
अपने हुक़ूक़ के लिए,लड़ना ही पड़ेगा।