सुनो सखी एक बात बताऊँ
सुनो सखी एक बात बताऊँ
**********************
सुनो सखी एक बात बताऊँ,
बात बता तुम्हें गले लगाऊँ।
यह दुनिया चतुर चालाक है,
सो टके की बात समझाऊँ।
मौकापरस्ती में रंगे लोग हैं,
कर आगाह मैं फ़र्ज निभाऊं।
रखो सदैव याद जो हैं बीती,
भूल गए वो रात याद कराऊँ।
खोलो बंद कान तुम्हें पुकारूँ।
ऊँची दे आवाज मैं हूँ बुलाऊँ।
मनसीरत प्रेम बना है व्यापार,
तन मन की मैं प्यास बुझाऊँ।
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)