सुनो न…
सुनो न… !
एक बात तुमसे कहना है मुझे।
संग तेरे उम्रभर रहना है मुझे।
सुनो न…!सुनो …न
मानता हूं रहा अब
मोहब्बत भी वफ़ादार नहीं।
और मेरा कोई यहां है
इश्किया किरदार नहीं ।
जो भी हो यकीं है
सब अच्छा ही होगा बशर्ते।
बस तुम न कहना कि
मैं मोहब्बत को हकदार नहीं।
साथ तेरे
दर्द ओ सितम सहना है मुझे।
सुनो न..!
एक बात तुमसे कहना है मुझे।
मुझे मालूम सच्चा इश्क
कभी मुकम्मल नहीं होता।
तकल्लुफ होता तो है
मगर अमल नहीं होता।
बेशक! मैं टूटा हुआ हूं
मैं मोहब्बत में जमाने से।
मगर कैसे बाज आऊं
फिर से वफ़ा आजमाने से।
बस तुम मत कहना
कि मैं तुम्हारा तरफदार नहीं।
बस तुम मत कहना
कि मैं मोहब्बत को हकदार नहीं।
सुनो न…!
हो चुके ख़जा इन बहारों में
अरे अरे, महकना है मुझे
सुनो सुनो सुनो न…।
एक बात तुमसे कहना है मुझे ।
©® दीपक झा रुद्रा