#गीत//सुनो नेता जी!
सत्ता जिनके हाथों में हैं,
वो सबका उत्थान करेंगे।
लड़ते और लड़ाते रहकर,
कैसे आन महान करेंगे।।
संसद मंदिर समझा जाए,
देख अखाड़ा मत तुम करना।
तर्क-वितर्क सही हों सच्चे हों,
झूठी आहें मत तुम भरना।
बच्चों से झगड़े करते हैं,
कैसे जन दुख दूर करेंगे।
अपना सोचें जन हक मारें,
वो नेता क्या चोर बनेंगे।।
सबको ही तुम न्याय दिलाओ,
क्यों गूँगे बहरे बनते हो।
हाथ जुड़े थे जिनके आगे,
क्यों उनके आगे तनते हो?
ये शान नहीं गद्दारी है,
यूँ नज़रों से आप गिरेंगे।
डूबेंगे एक दिवस मानो,
साहिल तुमसे घृणा करेंगे।।
#आर.एस.प्रीतम