सुनो ! तुम क्या माता पिता से भी बड़े हो गए..
माता पिता के कंधे से ,
ऊपर क्या हुए तुम ।
खुद को उनसे ऊंचा समझने लग गए।
माता पिता ने ही शिक्षा दीक्षा दी ,
तुमको आत्म निर्भर बनाया ,
तो खुद की नई दुनिया बसाने लग गए ।
माता पिता ने तुम्हें थोड़ी सी ,
आजादी क्या दे दी खुद निर्णय लेने की ,
तुम तो खुद को उनसे जायदा समझदार साबित करने लग गए।
भूल गए उनकी तपस्या ,उनके उपकार ,
उनका त्याग और प्यार बेशुमार ।
सुनो !तुम तो बड़े एहसान फरामोश निकले ।
ऐसी कृतघ्न संतानों की आंखें खुलती नही ,
जिंदगी में ठोकर या धोखा खाए बिना ।
जब होश आता है तब पता चलता है ,
अरे ! हम तो अपनों से बहुत दूर निकल आए।
और कुछ बदनसीब लोगों की तो ,
आंख खुल ही नहीं पाती ।
जिनको माफी मांगने का अवसर भी न मिला ,
वोह एहसासों से भी परे चले गए ।