” सुनो ऐ हवाओं “
सुनो ऐ हवाओं !
यूं हमें बार- बार हैरान ना किया करो ,
यूं हमारी उंगलियों को परेशान ना किया करो ।
वो क्या है ना !
यूं हमारे मन में हलचल मचाया ना करो ,
यूं हमारे गालों को बालों से चूमा ना करो ।
हां वो क्या है ना !
यूं हमारे ध्यान को बंटाया ना करो ,
यूं बार – बार हमें सताया ना करो ।
हम पहले कह देते हैं !
यूं हमारे धैर्य का इम्तिहान लिया ना करो ,
यूं हमारे खुबसूरती को इतना निखारा ना करो ।
? धन्यवाद ?
✍️ ज्योति ✍️
नई दिल्ली