सुनो ए दोस्त
हमारे जेसे लोग तुम कहा मिलेंगे
सुनो ए दोस्त
हम वो है जो सहरामें भी गुल
खिलाते रहे
वो और होगे जो डर गए दौरे-मुश्किल से
हमरे जेसे तो मुश्किलो पे भी जीत पाते रहे।
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खुदा ने चाहा तो ये घर रहेगा युही… रौशन क्यू के
जो हम पे फ़र्ज़ था वो तो हम निभाते रहे
मुझे किसी से कोई गरज क्या कोई कुछ भी कहे….
खुदा दिखाता गया हम रास्ते बनाते रहे…
रहा सवाल रिश्तो को निभाना का …..
तो खुदा गवाह है जहां तक हो सका हम रिश्तो को निभाते रहे…..
किसी का हो जाए भला यही ख्याल रहा..
तो नेकिया कर के हम दरिया में बहाते रहे।