सुनियौ नेताजी…!
सुनियौ नेताजी…!
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सुनियौ नेताजी,
बड़ा जतन से वोट हम देयलहुॅ ,
किछु तऽ आब करिऔ नेताजी।
घर अंगना सब उजड़ल अपटल ,
माइटक घर छल, सेहो अछि भखरल।
छप्पर पर जे खपडै़ल सजौने,
बीचोबीच से तऽ अछि फूटल ।
करम जलल, जे खेत हम बोइलहुॅ ,
मंहगा बीज आओर खाद खरीदलहुॅ,
बूढ़ बरद संग पुत्र खटेलहुॅ ।
बाढ़ि पाइन सभटा भसिआयल,
बोइनक दाम सेहो नहिं उपराइल ।
छुच्छ हाथ देखि, कनैत बच्चा सभ,
गारि-बात, घरनी सेऽ गंजन आब ।
काटब आब हम सालभरि कोना,
सख सेहन्ता रहत आब ओहिना।
कोशी गंडक सभ उफान मारैया,
भाग्य जरल सेऽ किसान मरैया।
बाढ़ि तिमास घुरि आयल आपदा,
कहिया हटत बिहारक ई विपदा।
अटलजी कहलैथ जे, नदी जोड़ब हम,
आस लगौने रहब, जिन्दा कतैक दिन हम ।
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – २७ /०१ / २०२२
माघ, कृष्ण पक्ष , दशमी , गुरुवार
विक्रम संवत २०७८
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