सुना ही दिया है
122/ 122/ 122/122
तुम्हारी सफ़र में खिले यार गुलशन ।
मोहब्बत किया तो दुआएं दिया है।
कसम है तुम्हारी सनम आज से ही
सजा जो मिला है गुनाहें किया है।
मुझे लाख बेहतर मोहब्बत लगा था
गया रूह दिल भी फनाहें किया है।
अभी तो नया ये सफर है हमारा
यूं आगाज में ही सुना ही दिया है ।
©®दीपक झा रुद्रा