बढ़ेगा फिर तो तेरा क़द
बढ़ेगा फिर तो तेरा क़द
सुना दे शेर जो इक-अद
है दिल क्या चीज़ तू सब ले
दे दूँ तुझे आज मैं मनसद
दिवाने जां लुटा देंगे
महब्बत की न कोई हद
जहां रबका सभी के लिए
न तय कर तू कोई सरहद
सभी को प्रेम ही देना
बड़ा ही नेक है मक़सद
•••
बढ़ेगा फिर तो तेरा क़द
सुना दे शेर जो इक-अद
है दिल क्या चीज़ तू सब ले
दे दूँ तुझे आज मैं मनसद
दिवाने जां लुटा देंगे
महब्बत की न कोई हद
जहां रबका सभी के लिए
न तय कर तू कोई सरहद
सभी को प्रेम ही देना
बड़ा ही नेक है मक़सद
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