सुनहरी धूप महकती हवाएं संग लई हैं।
सुनहरी धूप महकती हवाएं संग लई हैं,
खेतों में खड़ी प्यारी फसल लहराई हैं।
मौसम बड़ा सुहाना सा है हर तरफ,
देखो, बगों में मुरझाती कलियां फिर से खिल आई हैं।
फिर से तू मुझे दिखी उसी गली में,
लगता है तेरी याद मुझे फिर से अाई है।
अभी मौसम की गर्माहट छुप सी गई है कहीं,
लगता है बारिश की ठंडी हवाओं ने उसकी जगह चुराई है।
किसी ने दरवाज़ा खट – खटखटाया आधी रात को,
शायद हवाएं मेरी मां का पैग़ाम लाई हैं।