सुनहरा मंजर…
दूर से देखा तो बड़े ही सुनहरे मंजर थे,
पास पहुंचा तो सारे खेत बंजर थे.
हम उनके पास से भी प्यासे लौटे,
जिनके आंखों में प्यार के समंदर थे.
मासूम चेहरे में जब भी झांक कर देखा,
कितनी ही शैतान उनके अंदर थे.
खुशी- खुशी उनके पहलू में जा बैठे,
जिनके हाथों में खूनी खंजर थे.
वक्त की मार से बच रहा है कौन,
मिल गए धूल में कल तक जो सिकंदर थे…